लोकसभा चुनाव से पहले, भारत सरकार ने कई हस्तियों को bharat ratna 2024 देने का निर्णय लिया है। इसमें पीवी नरसिंह राव से लेकर चौधरी चरण सिंह भी शामिल हैं। इससे पहले सरकार ने कर्पूरी ठाकुर और लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया था।
नई दिल्ली:भारत सरकार ने एक-एक करके भारत रत्न प्रदान करके कई संदेश दिए हैं। इनके राजनीतिक और सामाजिक महत्व को बताया जा रहा है। इसे बीजेपी की राजनीतिक रणनीति से लेकर सोशल इंजीनियरिंग का भी एक हिस्सा माना जा रहा है। हाल ही में प्रदान किए गए 5 bharat ratna 2024 से 5 संदेश सामने आए हैं।
कांग्रेस के विरासत में एक और चोट
पी. वी. नरसिंह राव को bharat ratna 2024 देकर नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कांग्रेस की एक और विरासत को अपने पास लाने की महत्वपूर्ण कवायद की है। प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार कांग्रेस और गांधी परिवार को नरसिंह राव की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। यह सच है कि नरसिंह राव और सोनिया गांधी के बीच बेहतर संबंध नहीं थे।
मोदी ने 2014 में सत्ता में आने के बाद सरदार पटेल के बाद हर एक विरासत को अपने पास लाने का प्रयास किया है, और नरसिंह राव को भारत रत्न देना इसी की एक प्रतिक्रिया है। इंटरेस्टिंग बात है कि मोदी सरकार ने ही कांग्रेस के एक और पूर्व नेता और राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को भी भारत रत्न से सम्मानित किया था। बाद में प्रणव मुखर्जी और नरेंद्र मोदी के बीच अच्छे संबंध बने।
किसान मुद्दों पर दिया बड़ा संदेश
मोदी सरकार ने एम. एस. स्वामीनाथन और चौधरी चरण सिंह को ऐसे समय में भारत रत्न दिया है जब एक बार फिर किसानों का मुद्दा गरम है। किसान एक बार फिर आम चुनाव से पहले किसान आंदोलन के मूड में है। लेकिन किसानों के अब तक के सबसे बड़े वैज्ञानिक और दूसरी ओर से किसानों के अब तक के सबसे नेता को भारत रत्न देकर मोदी सरकार ने बड़ा संदेश दे दिया।
दरअसल, 2020 में जब दिल्ली में किसानों का आंदोलन हुआ तब सरकार बैकफुट पर आ गई थी। तब कहा गया कि सरकार ने वक्त रहते कदम नहीं उठाए, न ही सही तरीके से संवाद किया। इसका कुछ हद तक खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा। लेकिन इस बार बीजेपी और केंद्र सरकार ने किसानों से जुड़े दो बड़े नाम को भारत रत्न देकर संदेश देने में जरूर सफलता पायी कि वह उनके मुद्दों के साथ है।
दो दक्षिणी भारत के ही थे – नरसिंह राव और एम. एस. स्वामीनाथन
पिछले कुछ सालों से नरेंद्र मोदी की अगुआई में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने दक्षिण भारत पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित किया है। शुक्रवार को जो तीन bharat ratna 2024 की घोषणा हुई, उसमें दो दक्षिणी भारत के ही थे – नरसिंह राव और एम. एस. स्वामीनाथन। पिछले दिनों, पद्म पुरस्कारों में भी दक्षिणी राज्यों के लोगों को प्रमुखता मिली। राम मंदिर के भूमिपूजन समारोह से पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षिण भारत के कई मंदिरों का दौरा किया था।
उन्होंने काशी-तमिल समागम जैसी पहल की। बीजेपी को समझ में आया है कि अगर वह 2019 की तुलना में अपनी संख्या में वृद्धि करना चाहती है, तो उसे दक्षिण भारत के राज्यों में अपना प्रभाव बढ़ाना होगा। साथ ही, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में उसे अपनी प्रदर्शन की स्थिति को बनाए रखना होगा, जहां बीजेपी ने 2019 में अच्छा प्रदर्शन किया था। दक्षिण से भारत रत्न का सम्मान देकर, बीजेपी उन आरोपों को खारिज करने की कोशिश कर रही है कि केंद्र सरकार दक्षिण को अनदेखा नहीं करती।
लालकृष्ण आडवाणी को bharat ratna 2024
पिछले दिनों लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जिससे नरेंद्र मोदी ने संकेत दिया कि वह देश में विरासत और हिंदुत्व के प्रतीक रहे जनप्रतिनिधियों और व्यक्तित्वों को भी सम्मान देते रहेंगे। लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देना, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के तुरंत बाद, एक विशेष संकेत और संदेश दोनों था। वास्तव में, नरेंद्र मोदी ने पिछले दस सालों में प्रतीकों की राजनीति को बहुत प्रभावी तरीके से उतारा है। वह इस पर विशेष ध्यान देते हैं जिसका अपना सियासी संदेश होता है। इसलिए, आडवाणी को भारत रत्न देने का समयित भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया।
सोशल इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न
bharat ratna 2024 के तहत, मोदी सरकार ने सोशल इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया। पहले कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित कर बिहार में पिछड़ों को और अब चौधरी चरण सिंह को bharat ratna 2024 देकर जाट समुदाय को अपने रेडार में रखा। यह दिलचस्प है कि दोनों समुदाय अपने-अपने इस नेता को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग लंबे समय से कर रहे थे, और इन दोनों समुदायों के साथ संबंधित राजनीतिक दलों ने पिछले कुछ दिनों तक भाजपा से अलग थे। लेकिन नरेंद्र मोदी ने भारत रत्न के माध्यम से न केवल दोनों समुदायों के बीच एक महत्वपूर्ण संदेश दिया, बल्कि इनसे जुड़े राजनीतिक दलों को आगामी चुनावों से पहले अपने पक्ष में ले लिया।
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